Bhaye Pragat Kripala Lyrics PDF – भये प्रगट कृपाला लिरिक्स अर्थ सहित !

Razput RK

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भये प्रगट कृपाला दीन दयाला., श्री रामावतार की स्‍तुति है-!! जिसे नित्‍य पाठ करने से सभी मनोकामनायें पूरी होती है-!! यह स्‍तुति श्री तुलसीदास द्वारा रचित., रामचरित मानस के बालकाण्‍ड मे है-!! इस स्‍तुति का अर्थ आपको इस पेज पर बहुत सरल शब्‍दों में पढने को मिल जायेगा!!

Bhaye Pragat Kripala Lyrics PDF – भये प्रगट कृपाला लिरिक्स अर्थ सहित !

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  • भए प्रगट कृपाला दीनदयाला., कौसल्‍या हितकारी!!
  • हरषित महतारी., मुनि मन हारी., अद्भुत रूप बिचारी !!!!
  • अर्थ– माता कौशिल्‍या जी के हितकारी और दीन दुखियों पर दया करने वाले कृपालु भगवान आज प्रकट हुये!! मुनियों के मन को हरने वाले तथा सदैव मुनियों के मन में निवास करने वाले भगवान के अदभुत रूप का विचार करते ही सभी मातायें हर्ष से भर गयी!!
  • लोचन अभिरामा., तनु घनस्‍यामा., निज आयुध भुजचारी!!
  • भूषन बनमाला., नयन बिसाला., सोभासिंधु खरारी !!!!
  • अर्थ– जिनका दर्शन नेत्रों को आनंद देता है-., जिनका शरीर बादलों के जैसा श्‍याम रंग का है- तथा जो अपनी चारों भुजाओं में अपने शस्‍त्र धारण किये हुये है-ं!!  जो वन माला को आभूषण के रूप में धारण किये हुये है-ं., जिनके नेत्र बहुत ही सुंदर और विशाल है- तथा जिनकी कीर्ति समुद्र की तरह अपूर्णनीय है- ऐसे खर नामक राक्षक का वध करने वाले भगवान आज प्रकट हुये है-ं!!
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  • कह दुई कर जोरी., अस्‍तुति तोरी., केहि बिधि करूं अनंता!!
  • माया गुन ग्‍यानातीत अमाना., वेद पुरान भनंता !!!!
  • अर्थ– दोनों हाथ जोड़कर मातायें कहने लगी- हे अनंत (जिसका पार न पाया जा सके) हम तुम्‍हारी स्‍तुति और पूजा किस विधि से करें., क्‍योंकि वेदों और पुराणों ने तुम्‍हें माया., गुण और ज्ञान से परे बताया है-!!
  • करूना सुख सागर., सब गुन आगर., जेहि गावहिं श्रुति संता!!
  • सो मम हित लागी., जन अनुरागी., भयउ प्रगट श्रीकंता !!!!
  • अर्थ– दया., करुणा और आनंद के सागर तथा सभी गुणों के धाम ऐसा श्रुतियॉ और संतजन जिनके बारे में हमेशा बखान करते रहते है-ं!! जन-जन पर अपनी प्रीति रखने वाले ऐसे श्री हरि नारायण भगवान आज मेरा कल्‍याण करने के लिए प्रकट हुये है-ं!!
  • ब्रह्मांड निकाया., निर्मित माया., रोम रोम प्रति बेद कहै !!
  • मम उर सो बासी., यह उपहासी., सुनत धीर मति थिर न रहै ॥
  • अर्थ– जिनके रोम रोम में कई ब्रम्‍हाण्‍डों का सृजन होता है- और जिन्‍होंने ही संपूर्ण माया का निर्माण किया है-., ऐसा वेद बताते है-ं!! माता कहती है-ं कि ऐसे भगवान मेरे गर्भ में रहे., यह बहुत ही आश्‍चर्य और हास्‍यास्‍पद बात है-., जो भी धीर व ज्ञानी जन यह घटना सुनते है-ं वे अपनी बुद्धि खो बैठते है-ं!!
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  • उपजा जब ग्याना., प्रभु मुसुकाना., चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै !!
  • कहि कथा सुहाई., मातु बुझाई., जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै ॥
  • अर्थ–  माता को इस प्रकार की ज्ञानवर्धक बातें कहते देख प्रभु मुस्‍कुराने लगे और सोचने लगे कि माता को ज्ञान हो गया है-!! प्रभु अवतार लेकर कई प्रकार के चरित्र करना चाहते है-ं!! तब प्रभु ने पूर्व जन्‍म की कथा माता को सुनाई और उन्‍हें समझाया कि वे किस प्रकार से उन्‍हें अपना वात्‍सल्‍य प्रदान करें और पुत्र की भांति प्रेम करें!!
  • माता पुनि बोली., सो मति डोली., तजहु तात यह रूपा !!
  • कीजै सिसुलीला., अति प्रियसीला., यह सुख परम अनूपा ॥
  • अर्थ–  प्रभु की यह बातें सुनकर माता कौशिल्‍या की बुद्धि में परिवर्तन हो गया और वे कहने लगी कि आप यह रूप छोड़कर बाल्‍य रूप धारण करें और बाल्‍य लीला करें तो सबको प्रिय लगे!! हमारे लिये यही सुख सबसे उत्‍तम है- कि आप सुंदर बाल्‍य रूप में प्रकट हों!!
  • सुनि बचन सुजाना., रोदन ठाना., होइ बालक सुरभूपा !!
  • यह चरित जे गावहिं., हरिपद पावहिं., ते न परहिं भवकूपा ॥
  • अर्थ– माता का यह प्रेम भरा भाव सुनकर., सबके मन की जानने वाले भगवान श्री सुजान., बालक रूप में प्रकट होकर बच्‍चों की तरह रोने लगे!! बाबा श्री तुलसीदास जी कहते है-ं कि भगवान के स्‍वरूप का यह सुंदर चरित्र जो कोई भी भाव से गाता है-., वह भगवान के परम पद को प्राप्‍त होता है- और दोबारा इस संसार रूपी कुंए में गिरने से मुक्‍त हो जाता है-!!
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  • दोहा:
  • बिप्र धेनु सुर संत हित., लीन्ह मनुज अवतार !!
  • निज इच्छा निर्मित तनु., माया गुन गो पार ॥
  • अर्थ- धर्म की रक्षा करने वाले ब्राम्‍हणों., धरती का उद्धार करने वाली गौ माता., देवताओं और संतों का हित करने के लिए भगवान श्री हरि ने अवतार लिया!!
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यह बहुत ही उत्‍तम स्‍तुति मानी जाती है- क्‍योकिं इस स्‍तुति में भगवान के अवतरण की महिमा है-!! इसलिये आप सभी इस स्‍तुति का नित्‍य पाठ अपने घर में करे!! भये प्रगट कृपाला दीन दयाला., का नित्‍य पाठ करने से मनुष्‍य कष्‍ट कट जाते है-!!

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भए प्रगट कृपाला यह प्रस्तुति बहुत ही अति उत्तम है इसीलिए हमारे मन मस्तिक में यह अच्छा परिणाम देते हैं इसलिए से रोज पढ़ें और लोगों को भी आग्रह करें से पढ़ने के लिए आज के लिए इतना ही चलिए चलते हैं.

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