आज हमारे द्वारा आप कृष्ण भगवान की आराधना हेतु आरती कुंजबिहारी की हिंदी पीडीएफ डाउनलोड कर पाएंगे तथा ऐसे यहां पर पढ़ पाएंगे तो सभी शुभ कार्यों के लिए यह आरती की जाती है लेकिन जब भी भगवान श्रीकृष्ण से संबंधी कोई भी पूजा आराधना हो तो आरती का महत्व अधिक होता है इसीलिए हमने आर्टिकल में कुंज बिहारी की हिंदी पीडीएफ डाउनलोड करने का ऑप्शन दिया है जिसके माध्यम से आप हमेशा के लिए अपने डिवाइस में यह सेव कर पाएंगे

Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics Download | आरती कुंजबिहारी की PDF!
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यहां पर आप कृष्ण जी की आरती का लाभ उठा पाएंगे यहां पर पढ़ भी पाएंगे तथा हमेशा के लिए पीडीएफ फ्री में डाउनलोड भी कर पाएंगे अगर आप इस पीडीएफ को ऑनलाइन भी शेयर करना चाहते हैं तो आप फ्री में शेयर कर सकते हैं इसके लिए हम किसी भी प्रकार का कॉपीराइट नहीं देंगे
Aarti Kunj Bihari Ki PDF -कृष्ण जी की आरती की पीडीएफ यहां उपलब्ध है
कृष्ण जी की कुंज बिहारी आरती की पीडीएफ यहां पर उपलब्ध है इसे आप डाउनलोड कर सकते हैं और इसे आप ऑनलाइन भी अपनी वेबसाइट पर शेयर कर सकते हैं हम इसके लिए कोई भी कॉपीराइट नहीं भेजेंगे यह बिल्कुल फ्री पीडीएफ है
जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मुहूर्त
इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर के मंदिर को अच्छे से साफ कर लें- फिर एक साफ चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और चौकी पर बाल गोपाल की प्रतिमा स्थापित करें-इस दिन बाल गोपाल की अपने बेटे की तरह सेवा करें- उन्हें झूला झुलाएं- लड्डू और खीर का भोग लगाएं- रात 12 बजे के करीब भगवान कृष्ण की विधि विधान पूजा करें- उन्हें घी, मिश्री, माखन, खीर इत्यादि चीजों का भोग लगाएं- कृष्ण जी के जन्म की कथा सुने। उनकी आरती उतारें और अंत में प्रसाद सबको वितरित कर दें- आरती कुंजबिहारी की.
कृष्ण जन्माष्टमी मुहूर्त:
भगवान श्रीकृष्ण का 5248 वाँ जन्मोत्सव पूजा का समय – 11:59 PM से 12:44 AM 31 अगस्त तक अवधि – 45 मिनट पारण समय – 12:44 AM, अगस्त 31 के बाद अष्टमी तिथि प्रारम्भ – 29 अगस्त 2021 को 11:25 PM बजे अष्टमी तिथि समाप्त – 31 अगस्त 2021 को 01:59 AM बजे रोहिणी नक्षत्र प्रारम्भ – 30 अगस्त 2021 को 06:39 AM बजे रोहिणी नक्षत्र समाप्त – 31 अगस्त 2021 को 09:44 AM बजे. आरती कुंजबिहारी की – | | Krishna Aarti Lyrics PDF Hindi | |
आरती कुंजबिहारी की | Krishna Aarti Lyrics in Hindi.
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली; भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै; बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा; बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू; हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद।।
टेर सुन दीन भिखारी की॥ श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
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