एक राजा ने अपने मंत्री से कहा ~
मुझे इन चार प्रश्नों के जवाब दो.
👉 जो यहाँ हो, लेकिन वहाँ नहीं.
👉 जो वहाँ हो, लेकिन यहाँ नहीं.
👉 जो यहाँ भी नहीं हो,
और वहाँ भी नहीं.
👉 जो यहाँ भी हो,
और वहाँ भी हो.
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मंत्री ने उत्तर देने के लिए ...
दो दिन का समय माँगा.
दो दिनों के बाद
वह चार व्यक्तियों को लेकर
राज दरबार में हाजिर हुआ,
और बोला ~ राजन !
हमारे धर्मग्रंथों में
अच्छे-बुरे कर्मों और
उनके फलों के अनुसार
स्वर्ग और नरक की अवधारणा
प्रस्तुत की गई है.
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👉 यह पहला व्यक्ति भ्रष्टाचारी है.
यह गलत कार्य करके, यद्यपि …
यहाँ तो सुखी और संपन्न
दिखाई देता है, पर इसकी जगह
वहाँ यानी स्वर्ग में नहीं होगी.
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👉 दूसरा व्यक्ति सद्गृहस्थ है.
यह यहाँ ईमानदारी से रहते हुए …
कष्ट जरूर भोग रहा है, पर
इसकी जगह वहाँ जरूर होगी.
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👉 तीसरा व्यक्ति भिखारी है.
यह पराश्रित है.
यह न तो यहाँ सुखी है,
और न वहाँ सुखी रहेगा.
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👉 यह चौथा व्यक्ति
एक दानवीर सेठ है.
यह अपने धन का
सदुपयोग करते हुए
दूसरों की भलाई भी कर रहा है,
और सुखी संपन्न है.
अपने उदार व्यवहार के कारण …
यह यहाँ भी सुखी है, और
अच्छे कर्म करने से
इसका स्थान वहाँ भी सुरक्षित है.
धन्यवाद
🙏🏻