परिवार को जोड़कर रखने के लिए कुछ शब्दों में छोटी सी व्याख्या

Razput RK

“एक सीख “

`जोड़ने के लिए नर्म बनो और जोड़े रखने के लिए सख्त ये सीख हमें अपने जीवन में सीमेंट से सीखनी चाहिए। परिवार में यही भूमिका परिवार के मुखिया की और समाज में यही भूमिका समाज के मुखिया की भी होनी चाहिए।

परिवार जोड़ने के लिए नर्म और जोड़े रखने के लिए सख्त होना होना आपकी चातुर्यता है।परिवार का मुखिया नर्म न हो तो परिवार का जुड़ना मुश्किल है और परिवार का मुखिया सख्त न हो तो परिवार का जुड़े रहना भी मुश्किल ही है।

सठ सन बिनय कुटिल सन प्रीति।
सहज कृपन सन सुंदर नीति॥
जीवन में कभी-कभी जहाँ विनय काम नहीं आता वहाँ कठोरता काम कर जाती है। आपकी विनम्रता से किसी का अहित हो रहा हो तो भला वह विनम्रता भी किस काम की है..? विनम्रता भी वही भली है जिसमें किसी का अहित न हो और कठोरता से यदि किसी का हित सध रहा हो तो वहाँ पर कठोरता ही श्रेष्ठ है।
सदा विनम्र रहो मगर जहाँ पर आपकी विनम्रता किसी श्रेष्ठ कार्य के साथ-साथ आपके व सामने वाले के हित में बाधक बन रही हो वहाँ पर थोड़ा कठोरता दिखाकर उस श्रेष्ठ कार्य की परिपूर्णता ही श्रेयस्कर हो जाती है।“

परिवार में आप जो भी कार्य कर रहे हैं तो परिवार के व्यक्तियों को सला अनुसार ही करें

एक साथ खाना खाने से घर के सभी व्यक्तियों में प्रेम सद्भावना बढ़ती है

जिस प्रकार अपने बच्चे के जैसी सभी भाइयों सभी परिवार के बच्चों को भी प्रेम स्नेह करना चाहिए

सुबह शाम जहां तक हो सके भागवत गीता घर में रखकर उसका पाठ भी करना चाहिए क्योंकि भगवत गीता ही सिखाती है हमें कैसे रहना चाहिए

पूजा पाठ करने से एवं अपने हिंदू धर्म के देवी देवताओं की कहानी सुनने से परिवार में एकता एवं प्रेम बना रहता है एवं नकारात्मक ऊर्जा एवं शक्ति खंडित होती है

अपने बच्चों को छोटे ही से संस्कार देना चाहिए और अपने बच्चों के सामने अपने माता-पिता से कभी गलत शब्दों में बात एवं लड़ाई झगड़ा गाली गलौज नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे हमारे बच्चे देख रहे हैं तब कल के दिन हम भी बड़े होंगे जो हमारा आज हमारी है उमर हमारे कल बच्चों की होगी वह भी हमें ऐसे ही प्रताड़ित करेंगे अपने आप को उस कसौटी उस उम्र में रखकर सोचे अपने माता-पिता का सदैव सम्मान करें

अपने बेटों के साथ अपनी बहन का सम्मान दे आदर दे जिससे कि आने वाली नई पीढ़ी जनरेशन आपके बच्चे अपनी बहन को भी प्रेम और हमेशा बहनों के पैर पड़ना चाहिए

बेटी चाय हमारी हो चाय हमारे परिवार की हो चाय हमारे घर की हो चाय हमारे मोहल्ले की हो जाए हमारे गांव की हो जाए हमारे आस पास के गांव की हो बेटियों को कभी हमेशा ऐसा प्रतीत नहीं होना चाहिए कि हम बैठे हैं हम में साहस कम हैं बेटियों को भी बेटे जैसा माने उनको भी बेटे जैसा सक्षम बनाए जिससे कि आगे बेटियों का मान बढ़ सके जिन घरों में बेटियां 2 से भी अधिक होती हैं
किन्हीं घरों में तो लड़के की चाहत के कारण कई बेटियां जन्म हो जाते हैं जिसके कारण उन उन बच्चियों का उन बेटियों का भरण पोषण सही ढंग से एवं सही समय से उनको शिक्षा नहीं मिल पाती है और जितना परिवार बड़ा रहेगा उतनी अधिक समस्याएं रहेंगी

हमें इसमें गाय के माहौल में जितना हो सके अपना एक सीमित परिवार छोटा परिवार ही होना चाहिए जिससे कि हम अपने बच्चों को उत्तम व्यवस्था उत्तम शिक्षा उत्तम विद्यालय एवं अच्छे कपड़े अच्छे माहौल में उनको रहने की आजादी दे सकें

सभी बहनों को सादर प्रणाम सभी भाइयों को जय जय श्री राम

धन्यवाद

राजीव बुंदेलखंडी

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