एक ब्राह्मण भगवान श्री कृष्ण के मंदिर की बड़ी सेवाभाव करता था 1 दिन उसकी पत्नी ने कहा कि यदि इतना चाहते हो भगवान को तो उन्हें आज लड्डू खिलाकर ही आना पंडित ने ठान लिया

एक बार एक ब्राह्मण था , कृष्ण के मंदिर में बड़ी सेवा करता था हमेशा

भगवान के पूजा पाठ में लगा रहता था। उसकी पत्नी इस बात पर उस पर काफी बीबी बीवी रहा करती थी की कोई काम हो तो वो पहले भगवान को याद करता था। भोजन हो, वस्त्र हो, या कोई भी चीज ग्रहण करने से पहले भगवान को समर्पित करता था। एक दिन घर में लड्डू बने थे। ब्राह्मण ने लड्डू लिए और भगवान को भोग लगाने के लिए मंदिर में चल दिया। उसकी पत्नी उससे नाराज हो गयी कहने लगी कोई पत्थर की मूर्ति जिन्दा होकर खायेगी क्या जो हर चीज लेकर मंदिर की तरफ दौड़ते हो,अबकी बार बिना खिलाये लौटना नहीं ,देखती हुँ। तुम्हारे भगवान खाने आते है की नहीं. बस फिर क्या था , ब्राह्मण ने पत्नी के ताने सुनकर ठान ली की आज भगवान को बिना खिलाए घर नहीं लौटूंगा और ब्राह्मण धुनि रमाकर मंदिर में बैठ गया। भगवान के सामने लड्डू रखकर बिनती करने लगा की भगवन भोग लगाइये। एक घड़ी बीत गई आधा दिन बीत गया न तो भगवन आये न तो ब्राह्मण हटा। आसपास देखने वालो की भीड़ लगने लगी। सभी लोग कौतुक वश देखने लगे की आखिर होता क्या है———-. रखे हुए लड्डू पर मख्हियां भिनभिनाने लगी ब्राह्मण उन्हें हटाता रहा। मीठे की गंध से चीटियाँ भी लाइन लगाकर आने लगी ,ब्राह्मण ने उन्हें भी हटाया ,मंदिर के बाहर खड़े आवारा कुत्ते भी ललचाकर मँदिर के अंदर आने लगे ,ब्राह्मण ने उनको भी खदेड़ा ,लड्डू पड़ा देख मंदिर के बहार बैठे भिखारी भी आ गए। उसमे से एक तो चला सीधे लड्डू उठाने तो ब्राह्मण ने जोर से थप्पड़ रसीद कर दिया। दिन ढल गया शाम हो गयी न भगवान आये न ब्राह्मण हटा।

शाम से रात हो गई ,लोगो ने सोचा ब्राह्मण पागल हो गया है। .. भगवन तो आने से रहे…..
लोग अपने अपने घर चले गए। ब्राह्मण को भी गुस्सा आ गया उसने लड्डू उठकर बहार फेक दिए। भिखारी , कुत्ते , मक्खी, चीटी तो दिन भर से इस घड़ी का इंतजार कर रहे थे। सब टूट पड़े लड्डू पर. उदास ब्राह्मण अपने आप को कोसता हुआ घर चला गया। इतने सालों की सेवा बेकार चली गयी कोई फल नहीं मिला।
ब्राह्मण घर पर पत्नी के ताने सुनकर सो गया , रात को सपने में भगवान आये।

…… बोले तेरे लड्डू खाए थे मैंने बहुत बढ़िया थे , लेकिन अगर सुबह ही खिला देता तो ज्यादा अच्छा होता। कितने रूप धरने पड़े तेरे लड्डू खाने के लिए। मक्खी , चीटी , कुत्ता, भिखारी। …..
पर तूने हाथ नहीं धरने दिया। दिनभर इंतजार करना पड़ा।
आखिर में लड्डू खाए लेकिन जमीन से उठा कर खाने पड़े थोड़ी मिटटी लग गयी थी। अगली बार लाना तो अच्छे से खिलाना। भगवन चले गए। ………..
ब्राह्मण की नीद खुल गयी उसके आँख में आँशु आ गए , सोचा भगवांन तो आये थे खाने लेकिन मैं ही पहचान नहीं सका.

बस ऐसे ही हम भी भगवान के संकेतो को समझ नहीं पते है,

मुझमे राम तुझमे राम सब में राम समाया है सबसे करलो प्रेम जगत में कोई नहीं पराया है.

जय श्री कृष्ण!

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