जो खुद एक वर्कर था आज उसके यहां सैकड़ों वर्कर काम कर रहे है आज हम ऐसे इंडियन बच्चे की बात करेंगे जिसने फर्श से कैसे अर्श तक पहुंचा

Razput RK

आज की कहानी मोटिवेशन मोटिवेट स्वयं को कर देगी क्यों की कहानी कुछ ऐसी है कुछ सीखने को जरूर मिलेगा आइए फिर देर किस किस बात की कहानी की ओर बढ़ते हैं

नमस्कार दोस्तों आज हम बात करेंगे रवि राज की रवि राज एक छोटे छोटे से घर से छोटे से परिवार से छोटे से गांव से एक साधारण परिवार जिसकी सोच गांव के लोगों जैसी ही थी उसके घर पर ज्यादा कुछ नहीं था पर इतना जरूर था की खेती-बाड़ी के कारण दाल रोटी बड़े प्रेम से उसको मिल जाती थी और कुछ खाने-पीने और खर्च करने की बात आए तो उसकी जेब में कभी भी ₹10 भी नहीं हुआ करते थे

रवि राज 1 देहात एरिया का रहने वाला था इसलिए उसके गांव में कोई भी किसी भी काम धंधे नहीं थे जिससे कि वह लग जाए और दो पैसा कमाने लगे

कुछ जिंदगी ऐसी ही चल रही थी रवि का जन्म 1994 हुआ था रवि की उम्र बहुत कम थी उसे पढ़ना भी था रवि के माता-पिता में इतना दिमाग नहीं था कि आखिर बच्चों को कैसे हैंडल करें और उसके भविष्य को कैसे संभाल रहे हैं रवि को जब बाजार जाना पड़ता था तब रास्ते में एक मोटरसाइकिल रिपेयरिंग की दुकान मिली रवि उस दुकानदार के पास पहुंचता है और रवि उस दुकानदार से बोलता है कि भाई साहब जी मुझे काम पर रख लीजिए पर ओ मोटरसाइकिल दुकान वाला को लड़कों की जरूरत नहीं थी क्योंकि उसकी दुकान इतनी चलती नहीं थी और जितनी चलती थी उसमें उतने मौजूद लड़के थे उसने मना कर दिया तो रवि ने रिक्वेस्ट की की प्रिय भाई साहब जी मुझे दुकान पर रख लीजिए भले ही आप कुछ दो या ना दो तो उसने रवि को फ्री में रख लिया और रवि उसकी दुकान पर काम करने लगा सुबह से आ जाए और शाम को 5 कभी-कभी 6:00 भी बज जाया करते थे रवि पास के ही इंटर कॉलेज में पढ़ता था जो रवि का दुकानदार सेट था वह रवि को 6 महीने में उसी स्कूल की फीस दिया करता था जिस स्कूल की फीस ₹120 6 महीने के हुआ करते थे और कभी कबार 12 कॉपी किताब लवादी तो बस अन्यथा कुछ नहीं लगाता था उसका सेट

बात आई गई हो गई रवि ने कक्षा दसवीं पास की रवि ने कक्षा 12वीं पास की रवि बराबर मोटरसाइकिल सुधारे जा रहा है उसी मोटरसाइकिल की दुकान के बगल में 1 बरल के राजपूत जी की दुकान थी वह राजपूत जी उसके दोस्त के जीजा लगते थे रवि को जब भी मोटरसाइकिल रिपेयरिंग से फुर्सत मिलती रवि उसके कंप्यूटर पर बैठकर धीमे धीमे उसका काम बताने लगा

हालांकि रवि ने यही सोचा था कि हम मोटरसाइकिल रिपेयरिंग सीख जाएंगे तो कहीं जीवने जीने के लिए कहीं दुकान खोल लेंगे जिससे कि दो पैसे की आमदनी आए पर भाग्य को कुछ और मंजूर था पहले उसका मोटरसाइकिल रिपेयरिंग में मन लगता था और वह मोटरसाइकिल को इस प्रकार अच्छा बना देता था कि जो भी उसके यहां दुकान पर मोटरसाइकिल सुधरवाने आए तो उसके सेट से ना सुधरवाकर रवि से सुधरोआने लगे रवि के कारण उसकी दुकान उस मार्केट में सबसे पहले नंबर पर चलने लगे रवि एक अच्छा मैकेनिक बन चुका था क्योंकि रवि को घर की मजबूरियों से दिल मन लगाकर गाड़ी सुधारने का काम किया करता था गाड़ी सुधारते वक्त रवि को करीब 5 वर्ष का एक लंबा समय गुजर गया अब यहां पर रवि के मन में कंप्यूटर चलाने की लत लग गई बस यहीं से कहानी पलट गई

रवि ने अपने दोस्त से कहा जिसका नाम रूपेंद्र था उसके साथ एक छोटे से शहर में कंप्यूटर कोचिंग जाने लगा और कुछ ही महीनों में उसने कंप्यूटर डिग्री हासिल कर ली बस उसके बाद वह दिल्ली भाग गया दिल्ली में उसने सब प्रथम रिलायंस कॉल सेंटर में 2 वर्ष काम किया उसके बाद सिंडिकेट बैंक में एक छोटे से कर्मचारी के रूप में काम करने लगा और उसकी कंप्यूटर चलाने की दिव्य कला थी और बड़े से बड़ा काम वह चुटकियों में कर दिया करता था फिर वहां के मैनेजर ने रवि की यह बहादुरी देखी और दिमाग देखा रवि को छोटा मैनेजर पद पर नौकरी देती उस पर रवि पीछे मुड़कर नहीं देखा रवि को एक डिग्री की जरूरत थी रवि सिर्फ 12:00 तक पढ़ा था और कंप्यूटर डिप्लोमा था अब रवि BA पढ़ने के लिए b.a. में अपना नाम लिखो आता है और बराबर काम करता रहता है 2 वर्ष गुजर गया और रवि के हाथ में बीए की सर्टिफिकेट डिग्री हाथ में आ गए अब वह एक पावरफुल मैनेजर के रूप में उस बैंक में एक बड़े पद पर हो गया और उसकी अच्छी खासी सैलरी भी हो गई

रवि जब मैनेजर पद पर था तो बड़े बड़े बिजनेसमैन उससे मिलने के लिए लोन लेने के लिए लोन देने के लिए तमाम प्रकार की बातें करने के लिए एवं अपना लोन पास करने के लिए आग्रह किया करते थे और कई कंपनी में कई कंपनी में नो के मालिक आया जाया करते थे इसी बीच रवि की दोस्ती होती है कई मैनेजर ओ और कई बिजनेसमैन से अब रवि का मन उस मैनेजर पद से भी हटने लगा अब रवि ने मन में ठान ली कि मुझे कुछ करना है

अब रवि ने मन में ठान ली कि मुझे कुछ करना है मुझे एक बड़ा बिजनेस खड़ा करना है वह भी अपने क्षेत्र में रवि ने कई काम किए और साथ में अपने बैंक में जो मैनेजर का पत्था उसको भी नहीं छोड़ा क्योंकि उसके घर पर रुपयों की सख्त जरूरत थी रवि जो भी बैंक के समय छुट्टी के दिन हुआ करते थे उस पर अपना बिजनेस पर फोकस देने लगा रवि को कितनी सैलरी मिलती थी उसका चौथाई हिस्सा अपने घर पर भेजा करता था और बाकी तिहाई हिस्सा अपने बिजनेस के रख रखाव में खर्च कर दिया करता था

धीमे धीमे रवि ने कई प्रोजेक्ट लांच किए पर जैसे ही वह प्रोजेक्ट लांच करते थे तो जमीनी स्तर पर वह प्रोजेक्ट अधिक सफल नहीं हुई है उसका कारण रवी ने एक इंटरव्यू में कहा है कि उसके लिए जमा पूंजी और थोड़ा अधिक रुपया चाहिए था सर मेरे पास रुपया नहीं था इसलिए रवि को कई बार अपने द्वारा खोला गया बिजनेस घाटा खाना पड़ा

पर रवि ने कभी हार नहीं मानी और करता रहा रवि ने सोशल मीडिया पर कई टिप्स कहीं वीडियो को फॉलो करते करते अपना नॉलेज बढ़ाता गया बढ़ाता गया फिर 2 साल फिर बीते हैं फिर से सन आता है 2020 में रवि दिल्ली में था रवि ओला जैसी कंपनियों की गाड़ियों में हमेशा घूमा करता था और फिलिपकार्ड हेमा जॉन एवं कई कंपनियों ऑफशो जा जाकर नॉलेज इकट्ठा किया करता था

अब रवि को काम का भी बहुत प्रेशर था क्योंकि एक बैंक मैनेजर का पद एक बड़ा था और उसकी भी कुछ जिम्मेदारियां थी इसलिए रवि अपना पूरा समय बिजनेस में नहीं दे पा रहा था जिसके चलते वह कई बार कई महीनों तक प्रयास करते करते आखिरकार विफल हो जाया करता था रवि के मन में बात आई कि रवि अब नौकरी नहीं करेगा और नौकरी छोड़ देगा

आखिर ऐसा ही हुआ रवि ने नौकरी छोड़ दी और रवि अपने घर पर आ गया इसी बीच कोरोना लग गया कोरोना से बड़े से बड़े बिजनेसमैन डगमगा गए कोरोना की स्थिति इतनी भयानक थी की लोग खाने-पीने से लेकर बाहर आने जाने बाहर निकलने तक की नौबत नहीं थी पर रवि कोरोना के एक महीना ही पहले ही अपने गांव में आ गया था

कोरोना के समय बाल निकलना तो सब बंद था अब रवि चार दीवारों के अंदर अपने कंप्यूटर लैपटॉप के सामने बैठकर दिन दिन भर गुजार दिया करता था कि क्या करें क्या बिजनेस करें क्या कैसा करें एक दिन रवि का मित्र था एक जिसका नाम इंटरव्यू में राजू बताया रवी ने

उसके साथ उसकी मोटरसाइकिल की सर्विस करवाने के लिए सर्विस सेंटर पहुंचता है रवि और रवि का मित्र राजू एक बहुत अच्छे बचपन से एक साथ पले बढ़े एक बहुत अच्छे मित्र थे रवि अपने मित्र की मोटरसाइकिल सर्विस करवाने के लिए गया क्योंकि रवि का जो मित्र था जिसका नाम राजू था वह मोटरसाइकिल के विषय में जानता नहीं था और रवि एक पुराना मैकेनिक था और उसे मोटरसाइकिल के एक-एक पुर्जे की सही रूप से सही ढंग से संपूर्ण जानकारी थी इसी कारणवश राजू ने अपने मित्र रवि को बुलाया रवि ने देखा कि वहां पर दर्जनों मोटरसाइकिल सर्विस होने के लिए आ रही हैं और मनमानी दाम मोटरसाइकिल सर्विस की लगा रहा है सर्विस सेंटर वाले रवि को मोटरसाइकिल के विषय में संपूर्ण जानकारी भी थी और कौन सा पूजा कौन सा हिस्सा मोटरसाइकिल का कितने रुपए का आता है और यह सर्विस सेंटर वाला कितने रुपए का डाल रहा है रवि को वहां की सर्विस सेंटर पर एक बड़ा घपला नजर आया रवि और रवि का दोस्त राजू अपनी मोटरसाइकिल की सर्विस करवा कर घर आ जाते हैं

उस समय रवि ने अपने मित्र राजू को कुछ नहीं बताया और अपने घर पर जाकर रवि कंप्यूटर के माध्यम से उसी के विषय में जानकारी एकत्र करने लगा फिर धीमे-धीमे उसने एक कंपनी का नाम खोजा

काफी खोजने के बाद उसको बड़ी मुश्किल से एक नाम आया क्योंकि नाम उसे ऐसा रखना था जिससे कि लोगों को उस कंपनी का नाम लेने में किसी भी प्रकार की कठिनाई और असुविधा का सामना ना करना पड़े इसलिए रवि ने उस कंपनी का नाम Fixerbolt.com रख दिया रवि का प्लानिंग चल रही थी और अब रवि का कई वर्षों तजुर्बा था

Fixerbolt.com एक ऐसी कंपनी जोकि सर्विस सेंटर मैं जो घपला होता था आप लोगों के साथ मोटरसाइकिल मालिकों के साथ वह किसी भी प्रकार का नहीं हो पाएगा

रवि की कंपनी का पांच कारण थे नंबर 1

गूगल पर आपको फिक्सर बोल्ट डॉट कॉम पर जाना है और उस पर अपना टोकन लेना है टोकन लेकर अपने नजदीकी दुकान पर जाना है और वह टोकन को बताना है और आपकी गाड़ी का काम प्रारंभ हो जाएगा सुधारने का

नंबर दो

उसमें शर्त है जो मोटरसाइकिल का मालिक दुकानदार से कहेगा वही दुकानदार को चीज डालनी पड़ेगी दूसरी बात वह भी ओरिजिनल डालनी पड़ेगी यदि ओरिजिनल नहीं है तो ग्राहक यदि मंजूर है कि हमारी गाड़ी में नकली कोई चीज मिले तो सब प्रथम उससे पूछ लेना यदि ग्राहक हां कहे तो डालना और ना कहें तो नहीं डालना

नंबर 3
यदि लोकल बस तू आपने डाली है तो उसके प्राइस भी लोकल ही के लगने चाहिए एवं बाजार के रेट से आगे या पीछे रेट नहीं होने चाहिए

नंबर 4

यदि गाड़ी मालिक को लगता है बहुत से व्यक्ति ऐसे हैं कि जो नहीं जानते हैं कि क्या असली क्या नकली तो कंपनी के नंबर पर आप कॉल करके बात कर सकते हैं बात वीडियो कॉलिंग ऑडियो कॉलिंग एवं सभी प्रकार की बात होती है और तुरंत ही कस्टमर केयर आपसे बात कर कर आपको सुझाव देगा बताएगा कि आपको कौन सी चीज डलवाने चाहिए कौन सी आपकी गाड़ी में अच्छी रहेगी कौन सी खराब रहेगी एवं तुरंत आपकी तत्काल मदद करेगा कस्टमर

नंबर 5

यदि गाड़ी मालिक के साथ फिक्सर वोल्ट कंपनी की सदस्यता लेने वाले दुकान आपको मूर्ख नहीं बना सकता है जो भी बात होगी स्पष्ट रूप से साफ और दूसरी बात कहेंगे यदि दुकानदार ने गाड़ी मालिक को मूर्ख बनाया या बेवकूफ बनाया तुरंत आप कस्टमर केयर में बात करके तथा कंपनी के कर्मचारी उसको सर्विस में लेकर दुकानदार को यदि दुकानदार गलत पाया गया तो उसके कंपनी की सदस्यता खत्म कर देंगे

इसमें शिकायतकर्ता को जो उसका नुकसान हुआ है वह भी भरपाई वही दुकानदार करेगा

रवि ने एक इंटरव्यू में बताया है इससे लोगों को फायदा ही फायदा है इससे लोगों को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं है लोगों का एक सच्चा साथी के तौर पर है कंपनी काम करेगी आपको कौन सी चीज डालनी है कौन सी चीज डलवानी है कोई अभद्र या गलत चीज डालता है तो आपको कस्टमर केयर नंबर भी है और समय-समय पर जो कंपनी की सदस्यता ग्रहण किए हैं उसे ईमानदारी पूर्वक ही काम करना है

रवि की कंपनी इन्हीं कारणों के साथ बहुत तेज चलने लगी और रवि ने फिर धीमे-धीमे अपने कर्मचारियों को बढ़ाना प्रारंभ किया आज रवि के पास कम से कम 138 दुकानें हैं जोकि शिक्षा बोर्ड डॉट कॉम की सदस्यता ग्रहण किए हैं एवं उनमें से आज तक एक भी ग्राहक कोई भी शिकायत नहीं आई है

रवि का उस इंटरव्यू में कहना है कि बुंदेलखंड क्षेत्र में भी यह कंपनी सोच रही है जाने के लिए

आज रवि का नाम जाने-माने बिजनेसमैनो के साथ लिया जाता है

लेखक कहता है

कुछ भाग होता है रवि एक मोटरसाइकिल मैकेनिक की दुकान भविष्य में खोलना चाहता था पर उसे रास्ता मिलती गई और वह छोटी रास्ता को छोड़ता एक बड़ी-बड़ी रास्ता को पकड़ गया और ईमानदारी और संघर्ष के कारण आज वह सफल हो गया

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